मत लगाओ बोली अपने अल्फाजो
की हमने लिखना शुरू किया
तो तुम नीलाम हो जाओगे|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मत लगाओ बोली अपने अल्फाजो
की हमने लिखना शुरू किया
तो तुम नीलाम हो जाओगे|
हवा में सुनी हुई बातों पर यकीन न करें..!
कान के कच्चे लोग अक्सर
अच्छे दोस्त खो देते है.!!
तारीफ़ के मोहताज नही होते हैं सच्चे लोग, ऐ दोस्त…!!
असली फूलो पर कभी इत्र छिड़का नहीं जाता…!!
चाहते हो अगर हमेशा के लिए किसी को अपना बनाना..
तो कितना चाहते हो उसे ,ये उसे कभी ना बताना |
प्यार गया तो कैसे मिलते रंग से रंग और ख़्वाब से ख़्वाब
एक मुकम्मल घर के अंदर हर तस्वीर अधूरी थी..
कौन कहता है मुसाफिर जख्मी नहीँ होते…
रास्ते गवाह हैँ, कमबख्त गवाही नहीँ देते…
कौन-सी बात कहाँ, कैसे कही जाती है
ये सलीक़ा हो तो हर बात सुनी जाती है
जैसा चाहा था तुझे, देख न पाए दुनिया
दिल में बस एक ये हसरत ही रही जाती है
एक बिगड़ी हुई औलाद भला क्या जाने
कैसे माँ-बाप के होंठों से हँसी जाती है
कर्ज़ का बोझ उठाए हुए चलने का अज़ाब
जैसे सर पर कोई दीवार गिरी जाती है
अपनी पहचान मिटा देना हो जैसे सब कुछ
जो नदी है वो समंदर से मिली जाती है
पूछना है तो ग़ज़ल वालों से पूछो जाकर
कैसे हर बात सलीक़े से कही जाती है|
तारीफ़ के मोहताज नही होते हैं सच्चे लोग, ऐ दोस्त…!!
असली फूलो पर कभी इत्र छिड़का नहीं जाता…!!
मुँह अँधेरे कोई अखबार बेचने वाला,
हजार लाशें मेरे घर डाल जाता है|
वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है,
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता हैl
किसी से भूल कर भी अपने दिल की बात मत कहना,
यहाँ ख़त भी जरा-सी देर में अखबार होता हैl