ज़रा आँखें करो बंद मिलने ही चले आओ।
अब होता नहीं है इंतज़ार ख़त का तुम्हारे।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ज़रा आँखें करो बंद मिलने ही चले आओ।
अब होता नहीं है इंतज़ार ख़त का तुम्हारे।
आज भी प्यारी है मुझे तेरी हर निशानी ..
फिर चाहे वो दिल का दर्द हो या आँखो का पानी ..!
मुझे आदत नहीं यूँ हर किसी पे मर मिटने की…! पर तुझे देख कर दिल ने सोचने तक की मोहलत ना दी ।।
प्यार करने वाले मरते नही मार दिए जाते है,
कोई कहता है जला दो इन्हे,
कोई कहता है दफना दो इन्हे,
पर कोई यह क्यों नही कहता की मिला दो इन्हे…
खामोशियों की चीत्कार सुनी है कभी …
कान के परदे फाड़ सकती है..जनाब !
गुनाहों का मौसम है, चलो इक गुनाह करें..
खुल के इक दूजे से हम वफ़ा करें !
चुपके से आकर मेरे कान मे, एक तितली कह गई अपनी ज़ुबान मे… उड़ना पड़ेगा तुमको भी, मेरी तरह इस तूफान मे…
तुम्हें जरा सलीका नहीं
अपनी चीजें सम्भालने का..
जाते वक्त अपनी महक
यहीं छोड़ गए हो…
बडी अजीब मुलाकातें होती थी हमारी,वो किसी मतलब से मिलते थे
और
हमे तो सिर्फ मिलने से मतलब था…
ये तन्हा रात ये गहरी फ़ज़ाएँ उसे ढूँडें कि उस को भूल जाए|