जाना पहचाना सा है कोई शख्स
मेरे दिल में अनजान बन के रहता है ।
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हमारी चर्चा छोडो
हमारी चर्चा छोडो दोस्तों, हम ऐसे लोग है जिन्हें,
नफरत कुछ नहीं कहती,और मोहब्बत मार डालती है..
सच कहा था
सच कहा था किसी ने तन्हाईयों में जीना सीख लो; मोहब्बत जितनी भी सच्ची हो साथ छोड़ ही जाती है|
इश्क़ अदब है
इश्क़ अदब है तो अपने आप आए
गर सबक़ है तो फिर पढ़ा मुझ को|
कल जैसे ही
कल जैसे ही हमारा मेहबूब चांदनी रात में बाहर आ गया
आसमां का चाँद भी धरती के चाँद को देखकर शर्मा गया|
इत्तफाक से तो
इत्तफाक से तो नही हम दोनो टकराये
कुछ तो साजिश खुदा की भी होगी….
सोचो तो सिलवटों से
सोचो तो सिलवटों से भरी है तमाम रूह
देखो तो इक शिकन भी नही है लिबास में
एहसान जताना जाने
एहसान जताना जाने कैसे सीख लिया;
मोहब्बत जताते तो कुछ और बात थी।
ख़ामोश रहेता हूँ
चुभता तो बहुत कुछ मुझको भी है तीर की तरह..
मगर ख़ामोश रहेता हूँ, अपनी तक़दीर की तरह..
मुहब्बतों से फ़तेह
मुहब्बतों से फ़तेह करते हैं हम ‘दुश्मन’ दिलों को….
हम वो सिकंदर हैं, जो लश्कर नहीं रखते ….!!