चंद लफ़्ज़ों की

चंद लफ़्ज़ों की तक्कल्लुफ़ में ये इश्क़ रुक गया….
वो इंतज़ार पे रुके रहे और मैं इक़रार पे रुक गया ।।

एक था राजा

एक था राजा, एक थी रानी,
दोनों मर गए, खत्म कहानी

कुछ याद आया, सबने भूतकाल में सुना होगा !

अब भविष्य की सुनो

कोख से बेटी, धरती से पानी
दोनों मिट गए, खत्म कहानी………

उदास दिल है

उदास दिल है मगर मिलता हूँ हर एक से हँसकर..

यही एक अजब हुनर सीखा है
मैंने बहुत कुछ खो देने के बाद…

किन लफ्जों में

किन लफ्जों में लिखूँ मैं अपने इन्तजार को तुम्हे…

बेजुबां हैं इश्क़ मेरा और
ढूँढता हैं खामोशी से तुझे..!!