मेरी गलतियां मुझसे कहो
दूसरो से
नहीं,
कियोंकि सुधार ना मुझे है उनको नही…..
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Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मेरी गलतियां मुझसे कहो
दूसरो से
नहीं,
कियोंकि सुधार ना मुझे है उनको नही…..
…………
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीन तो कहीं आसमान नहीं मिलता
जिसे भी देखिये वो अपने आप में गुम है
ज़ुबाँ मिली है मगर हमज़ुबाँ नहीं मिलता
बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले
ये ऐसी आग है जिसमे धुआँ नहीं मिलता
तेरे जहाँ में ऐसा नहीं कि प्यार न हो
जहाँ उम्मीद हो इसकी वहाँ नहीं मिलता
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीन तो कहीं आसमान नहीं मिलता
हमको टालने का
शायद तुमको सलीका आ गया. . .
बात तो करते हो लेकिन,अब तुम अपने नहीं लगते !!
बिछड़ने के कोई कायदे
कानून तो होने चाहिए….
ये क्या हुआ —
दिल खाली था तो रहने लगे
दिल भर गया तो चल दिए …
शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी …!!
पर चुप इसलिये हु कि, जो
दिया तूने,वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता …!!
इतना संस्कारिक कलयुग आ गया है कि
लड़की कि विदाई के वक्त..
माँ बाप से ज्यादा तो मोहल्ले के लड़के रो देते है
कौन समझ पाया है आज तक हमे…
हम अपने हादसों के इकलौते, गवाह हैं…!
क्या करोगे ये जानकर कि कितना प्यार करते हैं तुमसे….
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❊ बस इतना जान लो, कि वो नम्बर तुम्हारा ही था
❊ जो मुझसे पहली बार याद हो पाया था…
काश कोई तो पैमाना होता मोहब्बत नापने का..
तो शान से आते हम तेरे सामने सबुत के साथ..
बचपन मे बाबा के जूते पहन, बडा होने को मचलता था.!”….
साहेबान…..
आज महसूस करता हूं कि वो ख्वाहिश कितनी नाजायज थी.