ज़िन्दगी का नाम

सांसों के सिलसिले को ना दो ज़िन्दगी का नाम… जीने के बावजूद भी, मर जाते हैं कुछ लोग !

आज लफ्जों को

आज लफ्जों को मैने शाम को पीने पे बुलाया है बन गयी बात तो ग़ज़ल भी हो सकती है

मायने रखता है

मेरे लिए अहसास मायने रखता है… रिश्ते का नाम चलो , तुम रख लो

दिया है रब ने

दिया है रब ने सबकुछ तो फिर फरियाद क्या करें.. दिल हो चाहत से परेशान तो जज़बात क्या करें.. आप सोचते होगे कि आज मुझे याद नहीं किया… जब कभी भूले ही नहीं तुम्हें तो याद क्या करें।

सर्दियों में अक्सर

सर्दियों में अक्सर… चोटें ज्यादा असर करतीं हैं…..!!

याद टूट कर

जिस दिन भी तेरी याद टूट कर आती है “ऐ जान” मेरी आँखों के साथ ये बारिश भी बरस जाती है…

उस ने एक

उस ने एक ही बार कहा “दोस्त हू ” फिर मैने कभी नही कहा “व्यस्त हू ” !!!

जिंदगी के रूप में

जिंदगी के रूप में दो घूंट मिले, इक तेरे इश्क का पी चुके हैं..दुसरा तेरी जुदाई का पी रहे हैं !!!!

कभी मोहब्बत के

वो पतथर भी मारे तो उठा के झोलियाँ भर लूँ कभी मोहब्बत के तोहफ़ो को लौटाया नही करते ।

कहानियाँ लिखने लगा

कहानियाँ लिखने लगा हूँ मैँ अब.!! शायरियोँ मेँ अब तुम समाती नहीँ.!!

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