थक हार के

आखिर

थक हार के, लौट आया मै बाज़ार से….!!
यादो को बंद करने के ताले

, कही मिले नही….!!!

मौसम फिर से

आज ये

मौसम फिर से करवा रहा है मुझसे शायरी…..!!
वरना इस दिल के

जज़्बातों को दबे तो ज़माना हो गया…..!!