ऐ खुदा जिन्दगी कैसी भी गुजारू
लेकिन आईना जब सामने हो
तो कभी शरमिन्दगी न हो
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ऐ खुदा जिन्दगी कैसी भी गुजारू
लेकिन आईना जब सामने हो
तो कभी शरमिन्दगी न हो
मेरे करीब आकर, वो मुझसे ही दूर बैठे हैं…!!
नज़रों में है हया, फिर भी बा-गुरूर बैठे हैं…!!
आइना आज फिर रिश्वत लेते पकड़ा गया,
दिल में दर्द था फिर भी हँसता हुआ पाया गया !!
न भूलेगा वह वक्ते-रूखसत किसी का..
मुझे मुड़के फिर इक नजर देख लेना..!
देखे हैं इतने ख्वाब की अब अपने रू-ब-रू..
उनको भी देख लूँ तो समझता हूँ ख्वाब है..!
दो घड़ी वो जो पास आ बैठे..
हम जमाने से दूर जा बैठे..!
दिले-नादाँ तुझे हुआ क्या है, आखिर इस दर्द की दवा क्या है,
हम हैं मुश्ताक और वो बेजार या इलाही ये माजरा क्या है?
हम भी मुंह में जुबान रखते हैं, काश पूछो कि मुद्दआ क्या है,
हमको उनसे वफा की है उम्मीद जो नहीं जानते वफा क्या है
जान तुम पर निसार करता हूँ, मैं नहीं जानता दुआ क्या है?
जरुरत से ज्यादा अच्छे बनोगे ….!
तो जरुरत से ज्यादा इस्तेमाल किये जाओगे ।।
जमाने की नजर में, थोड़ा सा अकड़कर चलना सीख ले ऐ दोस्त…..
मोम जैसा दिल लेकर फिरोगे तो, लोग जलाते ही रहेंगे….
ख़ाक से बढ़कर कोई दौलत नहीं होती छोटी मोटी बात पे हिज़रत नहीं होती,.,
पहले दीप जलें तो चर्चे होते थे और अब शहर जलें तो हैरत नहीं होती!!