इक दूर से आती है

इक दूर से आती है
पास आके पलटती है
इक राह अकेली सी
रूकती है न

चलती है
ये सोच कर बैठी हूँ
इक राह तो वो होगी
तुम तक जो
पहुँचती है।

चेहरों के लिए आईने

चेहरों के

लिए आईने क़ुर्बान किये हैं ,
इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये हैं

।महफ़िल में मुझे गालियां देकर है बहोत खुश ,
जिस शक्श पे मैंने

बड़े बड़े एहसान किये हैं !!