हम उस से तूफानो में भी साथ निभाने की उम्मीद करते रहे,
और वो निकल ना सके घर से बारिशों के खौफ से !!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हम उस से तूफानो में भी साथ निभाने की उम्मीद करते रहे,
और वो निकल ना सके घर से बारिशों के खौफ से !!
इक दूर से आती है
पास आके पलटती है
इक राह अकेली सी
रूकती है न
चलती है
ये सोच कर बैठी हूँ
इक राह तो वो होगी
तुम तक जो
पहुँचती है।
रिश्ता टूट ना जाये इस डर से बदल लीया खुद को
अपनी ज़िद से ज्यादा रिश्ते को अहेमियत दी हमने
मेरी आवारगी में कुछ कसूर तुम्हारा भी है….
ऐ जालिम…
जब तुम्हारी याद
आती है तो घर अच्छा नही लगता…!!
कहाँ तलाश करोगे तुम दिल हम जैसा..,
जो तुम्हारी बेरुखी भी सहे और प्यार भी करे…!!
इश्क़ बोझिल हुआ जा रहा था तुमने
दिल से निकालकर मसला ही हल कर दिया
माफ़ी
गलतियों की होती है
धोख़े की नही..!!
कोई ढूंढता है कलमे,
चरागों की आड़ में कोई मांग रहा माचिस,
फ़साने जलाने को…
चेहरों के
लिए आईने क़ुर्बान किये हैं ,
इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये हैं
।महफ़िल में मुझे गालियां देकर है बहोत खुश ,
जिस शक्श पे मैंने
बड़े बड़े एहसान किये हैं !!
किसी ने
पूछा कौन याद आता है, अक्सर तन्हाई में
हमने कहा कुछ पुराने
रास्ते, खुलती ज़ुल्फे और बस दो
आँखें