इतनी शिद्दत से

काईनात में कोई इतनी शिद्दत से किसी का इंतेजार नहीं करता

जितना अल्लाह अपने बंदे की तौबा का करता है

काईनात में कोई

काईनात में कोई इतनी शिद्दत से

किसी का इंतेजार नहीं करता
जितना अल्लाह अपने बंदे की

तौबा का करता है

टूट जाते हैं

इलाही क्या इलाक़ा है वो जब लेते हैं अंगड़ाई

मिरे ज़ख़्मों के सब टाँके अचानक टूट जाते हैं

तुम्हें खोने का डर

विश्वास कीसी पे इतना करो वो तुम्हें फंसाते समय खुद को दोषी समजे

प्यार किसीसे इतना करो की उसके मन तुम्हें
खोने का डर हमेशा बना रहे….