कितने कम लफ्जों मे जिंदगी को बयान करूँ
लो तुम्हारा नाम लेकर किस्सा तमाम करूँ !!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कितने कम लफ्जों मे जिंदगी को बयान करूँ
लो तुम्हारा नाम लेकर किस्सा तमाम करूँ !!
अगर शक है मेरी मोहब्बत पे तो दो चार गवाह बुला
लो, हम आज, अभी, सबके सामने, ये जिन्दगी तेरे
नाम करते है !!
किसको, पाने की तलब है यहां;
हम तो बस, तुझे खो देने से डरते है!
दिल तो सब कुछ सह कर भी चुप रहा……
कमबख्त, आँखो ने बयाँ कर दिया रात किस दर्द से
गुजरी है..
सुना है सभी कर्मो का फल इस जनम में ही मिलता है….
तो फिर तेरी महोब्बत के लिए अगले जनम का इंतजार क्यों |
ग़लत कहता हैं हर कोई कि संगत का असर होता हैं
वो बरसों मेरे साथ रही मगर फिर भी बेवफा निकली |
बढ रहे है चाहने वाले मेरे अल्फाज़ों के….,
लगता है उस तक बात जरुर पहुँचेगी।
दर्द अब इतना की संभलता नही है
तेरा दिल मेरे दिल से मिलता नही है
अब और किस तरह पुकारूँ मैं तुम्हे
तेरा दिल तो मेरे दिल की सुनता भी नही है |
यादों की मधुमक्खियां डंसती रहीं
वो गया जो छत्ते पे पत्थर मार कर|
मिलन की रुत से मुहोब्बत को तराशने वालों,
अकेले बैठ के रोना भी प्यार होता हैं..!!