कांटा समझ के मुझ से न दामन बचाइए..
गुजरी हुई बहार की इक यादगार हूँ..!
Tag: मौसम
क्या सबूत दूँ
उसकी चाहत का मैं और क्या सबूत दूँ…
उसने लगाई भी बिंदी तो मेरी आँखों में देखकर…
सूखे पत्तों की तरह
“उम्र भर सूखे पत्तों की तरह बिखरे हुए थे
हम ,आज किसी ने समेटा,
वो भी जलाने के लिए “”।
कितने मज़बूर है
कितने मज़बूर है हम तकदीर के हाथो..
ना तुम्हे पाने की औकात रखतेँ हैँ, और ना तुम्हे खोने का हौसला.!!
प्यार का रिश्ता
प्यार का रिश्ता भी कितना अजीब होता है।
मिल जाये तो बातें लंबी और बिछड़ जायें तो यादें लंबी।
दिल लगाकर सुनो
ख़ामोशी बहुत कुछ कहती है. कान लगाकर नहीं,
दिल लगाकर सुनो……
किसी के पांव से
किसी के पांव से कांटा,
निकाल कर देखे,
तुम्हारे दिल की चुभन जरूर कम होगी
खुले मैदानों में
दौड़ने दो खुले मैदानों में नन्हे कदमो को..
ज़िन्दगी बहुत भगाती हैं, बचपन गुजरने के बाद..
चले आती है
चले आती है कमरे में दबे पाँव ही, हर दफ़े..
तुम्हारी यादों को दरवाज़ा खटखटाने की भी तमीज़ नहीं
क़ैद करना मुमकिन नहीं
तुम्हे पहली बार होंठों से लगाया तो ये एहसास हुआ…
हर नशे को बोतल में क़ैद करना मुमकिन नहीं