उमर का जोर न दिखाइए जनाब..
तकाज़ा उमर से ही नहीँ, ठोकरों से भी होता है..!
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खुद को तराशते
उम्र जाया कर दी
औरों के वजूद में नुक़्स निकालते निकालते…
इतना खुद को तराशते
तो खुदा हो जाते…
खुशियाँ दूसरों पर
क्या लूटेगा जमाना खुशियों को
मेरी..
मैं तो खुद अपनी खुशियाँ दूसरों पर लुटा कर जीता हूँ….
एक तुम को अगर चुरा लूँ
एक तुम को अगर चुरा लूँ मैं….
हाय ! सारा जमाना गरीब हो जाये….!!
नजदीक आ जाते हैं
बहुत नजदीक आ जाते हैं वो लोग,
जो बिछड़ने का इरादा रखते है…!!.
आज फिर तुम्हारा नाम
बच्चे मेरे गली के बहुत ही शरारती हैं,
आज फिर तुम्हारा नाम मेरी दीवार पर लिख गये..
वो मशहूर हो गये हैं
जब से वो मशहूर हो गये हैं, हमसे कुछ दूर हो गये हैं…
मौन तलाशते हैं
कुछ तब्दिलियाँ और समझौते कर लिए हैं हालात – ए ज़िदंगी से हमने
अब आकाश में मौन तलाशते हैं और पीछे मुड़ कर देखने की आदत छोड़ दी है !!
लग गयी महफ़िल
आ गये शायर लग गयी महफ़िल ……
चलो हम भी देखे रंग अल्फाजो के ……
हम प्यार मांगे
क्या ऐसा नही हो सकता …..
हम प्यार मांगे, और तुम गले लगा कर कहो….
“और कुछ”