बात हुई थी समंदर के किनारे किनारे चलने की..
बातों बातों में निगाहों के समंदर में डूब गए..
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मतलबों के सलाम हैं
अब कहां दुआओं में वो बरकतें,…वो नसीहतें …वो हिदायतें,
अब
तो बस जरूरतों का जुलुस हैं …मतलबों के सलाम हैं”
यादों की बारिश
हमने भी मुआवजे की अर्जी डाली है साहब,
उनकी यादों की बारिश ने काफ़ी नुकसान पहुँचाया है !!
नींद बड़ी मुश्किलों से
हमीं अकेले नहीं जागते हैं रातों में…
उसे भी नींद बड़ी मुश्किलों से आती है..
दिल बिछाये जाते है
हमारे महफिल में लोग बिन बुलाये आते है क्यू,
की यहाँ स्वागत में फूल नहीं दिल बिछाये जाते है|
जुर्म यह था कि
सजा यह मिली की आँखों से नींदें छीन ली उसने,,
जुर्म यह था कि उसके साथ रहने का ख्वाब देखा था
हर रिश्ता बेवफाई से
जरुरी नहीं हर रिश्ता बेवफाई से ही खत्म हो,,,,
कुछ रिश्ते किसी की ख़ुशी के लिए भी खत्म करने पड़तेहै !!
तेरी बंदगी नहीं होती
ए चाँद मुबारक तुझे….. कारवां तेरा
मुझसे अब तेरी बंदगी नहीं होती….
कोई बात हो
“दरिया” बन कर किसी को डुबोना बहुत आसान है…..
मगर “जरिया” बनकर किसी को बचायें तो कोई बात हो…..
मेरी इबादत का…..!!
तू नही तेरे अंदर बैठे रब्ब से मोहब्बत है मुझे..
तू तो बस एक ज़रिया है मेरी इबादत का…..!!