तेरा इश्क जैसे प्याज था शायद।
परते खुलती गयी आँसू निकलते गये॥
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तेरा इश्क जैसे प्याज था शायद।
परते खुलती गयी आँसू निकलते गये॥
चलो दौलत की बात करते हैं,
बताओ तुम्हारे दोस्त कितने हैं….!!
मैं तुझसे अब कुछ नहीं मांगता ऐ ख़ुदा,
तेरी देकर छीन लेने की आदत मुझे मंज़ूर नहीं।।
इश्क़ का कैदी बनने का अलग ही मज़ा है,
छुटने को दिल नहीं करता और उलझने में मज़ा आता है।।
अब न वो मैं न वो तू है न वो माज़ी है,
जैसे दो साए तमन्ना के सराबों में मिलें…
अब्र बरसते तो इनायत उस की
शाख़ तो सिर्फ़ दुआ करती है |
शाम पड़ते ही किसी शख़्स की याद
कूचा-ए-जाँ में सदा करती है |
मसअला जब भी चराग़ों का उठा
फ़ैसला सिर्फ़ हवा करती है |
दुख हुआ करता है कुछ और बयाँ
बात कुछ और हुआ करती है ||
ढूंढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती,
ये खज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिले…
ज़रा अल्फ़ाज़ के नाख़ून तराशों
बहुत चुभते है…….
जब नाराज़गी से बातें करती हो….!!
अपनी कीमत उतनी रखिए, जितनी अदा हो सके
अगर अनमोल हो गए तो तनहा हो जाओगे..!!
मुहब्बत से तौबा तो
कर चुके हैं मगर
थोडा जहर ला के दे दो आज
तबियत उदास है|