न पूछा कर औरो से हाल मेरा..ए बेवफा .. इतनी ही फ़िक्र होती तो ..तू साथ होती.. तेरी यादे नहीं…
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बर्फ गिरी सदमो की
इस क़दर बर्फ गिरी सदमो की, जम गया सब्र मेरी आँखों में…
डूबी हैं मेरी उँगलियाँ
डूबी हैं मेरी उँगलियाँ मेरे ही खून में.. ये कांच के टुकड़ों पे भरोसे की सजा है..
अजीब है ये नींदों का आना
अजीब है ये नींदों का आना भी.. कभी मिन्नतें..कभी जबरदस्तियां..!!
प्यार के रंग से सजाया
जो बनाई है तिरे काजल से तस्वीरे-मुहब्बत,अभी तो प्यार के रंग से सजाया ही कहाँ है..!
बड़ा मतलबी निकला
समंदर भी बड़ा मतलबी निकला, जान लेकर लहरों से कहता है,लाश को किनारे लगा दो।
थोड़ी सी तमीज़
थोड़ी सी तमीज़ मुझे भी फ़रमा मेरे मौला, रंज़िश के इस दौर मे और भी बेख़ौफ़ होता जा रहा हूँ |
जिसको भी देखा रोते हुए
जिसको भी देखा रोते हुए ही देखा… मुझे तो ये “मोहब्बत” साजिश लगती है रुमाल बनाने वालो की…
शर्तें लगाई जाती नहीं
शर्तें लगाई जाती नहीं दोस्ती के साथ, कीजे मुझे क़ुबूल मिरी हर कमी के साथ…….
जुबान की हिफाज़त
जुबान की हिफाज़त दोलत से कहीं ज्यादा मुश्किल है… लोग अक्सर मुझसे पुछते हैं जगह – जगह तुम्हारी बहुत “निन्दा ” हो रही है.. और मेरा एक ही जवाब होता है …. “निन्दा ” उसी की होती है जो जिन्दा है । तारीफ तो हमेशा मरे हुये की होती है… बस अपने विश्वास में जियो..… Continue reading जुबान की हिफाज़त