जो मांगू वो दे दिया कर…ऐ ज़िन्दग़ी …!!
तू बस…मेरी माँ की तरह बन जा…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जो मांगू वो दे दिया कर…ऐ ज़िन्दग़ी …!!
तू बस…मेरी माँ की तरह बन जा…
यूँ तो शिकायतें तुझसे सैंकड़ों हैं मगर,
तेरी एक मुस्कान ही काफी है सुलह के लिये…
बहोत कुछ छूट जाता है… “कुछ” पूरा करने में…
झूठ, लालच और फरेब से परे है, खुदा का शुक्र है आयने आज भी खरे है.”
जब वक़्त करवट लेता हैं ना, दोस्तों…!!
…तो बाजियाँ नहीं, जिंदगियाँ पलट जाती है..!
ऑनलाइन खरीदी रोके
परिवार के साथ बहार निकले
बाजार में रौनक होगी।
और पैसा बाहर नहीं जायेगा
भारत में रहेगा
मरते बाजार को जीवन दान दे।
किसी को कुछ देने की इच्छा हो तो आत्म-विश्वास जगाने वाला प्रोत्साहन सर्वोत्तम उपहार के रूप में दे|
रुके तो चाँद जैसी है, चले तो हवाओं जैसी है,
वो माँ ही है, जो धूप में भी छाँव जैसी है….?
घड़ी सुधारने वाले मिल जाते हैं,
समय खुद सुधारना पड़ता है.
हज़ारों मिठाइयाँ . . चखी हैं जमाने में . . .
ख़ुशी के आंसू से . . मीठा कुछ भी नहीं ।।