दरख़्त ऐ नीम हूँ, मेरे नाम से घबराहट तो होगी,
छांव ठंडी ही दूँगा, बेशक पत्तों में कड़वाहट तो होगी.
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
दरख़्त ऐ नीम हूँ, मेरे नाम से घबराहट तो होगी,
छांव ठंडी ही दूँगा, बेशक पत्तों में कड़वाहट तो होगी.
मेरी न सही तो तेरी होनी चाहिए….
तमन्ना किसी एक की तो पूरी होनी चाहिए…!!
बहुत सी निशानियाँ हैं मेरे पास भी
मुहोब्बत की..!!
ताज महल का तो नाम उङा रखा है
लोगों ने..!
अच्छा सुनो! जाना एक काम कर दो !!!!
तुम खुद को मेरे नाम कर दो।
दिल तोड़ के जाने वाले सुन !
दो और भी रिश्तें बाक़ी हैं एक सांस की डोरी अटकी है
एक प्रेम का बंधन बाक़ी है |
मेरी शायरियों से तंग आ जाओ,
तो बता देना मुझे
नफरत सहन कर लेंगे
मगर दिखावे का प्यार नही|
इश्क की गहराइयों में खूबसुरत क्या है,
मैं हूँ…तुम हो…कुछ और की जरुरत क्या है..
भूख फिरती है मेरे शहर में नंगे पाँव..
रिज़्क़ ज़ालिम की तिजोरी में छिपा बैठा है।
गर्दन पर निशान तेरी साँसों के…
कंधे पर मौजूद तेरे हाथ का स्पर्श…
बिस्तर पर सलवटें…
तकिये पे लगे दाग..
चादर का यूँ मुस्कुराना..
शायद, तुम ख्वाब में आए थे…!
लफ्ज लफ्ज जोड़कर बात कर पाता हूं
उसपे कहते हैं वो कि, मैं बात बनाता हूं….