कितना खुशनुमा होगा वो मेरे इँतज़ार का मंजर भी…
जब ठुकराने वाले मुझे फिर से पाने के लिये आँसु बहायेंगे|
Tag: प्यार
किस खत में
किस खत में रखकर भेजूं अपने इन्तेजार को ,
बेजुबां है इश्क़ , ढूँढता हैं खामोशी से तुझे
बस यूँ ही
बस यूँ ही लिखता हूँ वजह क्या होगी ..
राहत ज़रा सी आदत ज़रा सी ..
तेरे नाम से ही
तेरे नाम से ही जाना जाता हु मैं
न जाने ये शोहरत है या बदनामी।।
ये इश्क तो
ये इश्क तो बस एक अफवाह है..
दुनिया में किसको किसकी परवाह है..
अपनी रूह तेरे जिस्म में
उठाइये
हम अपनी रूह तेरे जिस्म में छोड़ आए फ़राज़
तुझे गले से लगाना तो एक बहाना था|
परवाह दिल से
परवाह दिल से की जाती है,
दिमाग से तो बस इस्तमाल होता है|
अजीब पैमाना है
अजीब पैमाना है यहाँ शायरी की परख का…..
जिसका जितना दर्द बुरा, शायरी उतनी ही अच्छी….
ख़ता ये हुई
ख़ता ये हुई,तुम्हे खुद सा समझ बैठे
जबकि,तुम तो…‘तुम’ ही थे
रफ़्ता-रफ़्ता मेरी
रफ़्ता-रफ़्ता मेरी जानिब, मंज़िल बढ़ती आती है,
चुपके-चुपके मेरे हक़ में, कौन दुआएं करता है।