किसी और के दीदार के लिए उठती नहीं ये आँखे,
बेईमान आँखों में थोड़ी सी शराफ़त आज भी है|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
किसी और के दीदार के लिए उठती नहीं ये आँखे,
बेईमान आँखों में थोड़ी सी शराफ़त आज भी है|
दुनिया में कुछ अच्छा रहने दो।।बच्चे को बच्चा रहने दो|
चांदी की दीवार ना तोड़ी प्यार भरा दिल तोड़ दिया|
ज़िंदगी अब नही सवरेगी शायद,
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बड़ा तजुर्बेकार था उजाड़ने वाला..!!
बदलने को हम भी बदल जाते…
फिर अपने आप को क्या मुंह दिखाते |
अनजाने शहर में अपने मिलते है कहाँ
डाली से गिरकर फूल फिर खिलते है कहाँ . . .
आसमान को छूने को रोज जो निकला करे
पिँजरे में कैद पंछी फिर उड़ते है कहाँ . . .
दर्द मिलता है अक्सर अपनो से बिछड़कर
टूट कर आईने भला फिर जुड़ते है कहाँ . . . .
ले जाते है रास्ते जिंदगी के दूर बहुत
मील के पत्थर जमे फिर हिलते है कहाँ . . .
दिल कहाँ कह पाता है औरों को अपनी भला
जख्म हुए गहरे गर फिर भरते है कहाँ . . . .
ले चल खुदा फिर मुझे मेरे शहर की ओर
जीने के अवसर भला फिर मिलते है कहाँ . .
झुकती पलकें,उभरती साँसें,मौन होंठ,बोलती
आँखें,सिमटती हया और खुले बाल,
सच कहूँ तुमसे बेहतर जँहा में कुछ देखा नहीं मैंने।
जिंदगी पर बस इतना ही लिख पाई हूँ मैं….
बहुत “मज़बूत” रिश्तें है…कुछ लापरवाह लोगों से|
इन आँखों में, आज फिर नमी सी है…
इस दिल में आज फिर तेरी कमी सी है!!
नहीं भूलती वो तेरी बातें…
याद आ गईं फिर,वो मुलाकातें !!!
आज भी धड़कने बढ़ा देता है उस पल का याद आना,
मेरे जाने पर तेरा लिपट के गले लग जाना।