बिलकुल बेकार नहीं हूँ मैं.
नाकामियों की मिसाल के काम आता हूँ मैं
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बिलकुल बेकार नहीं हूँ मैं.
नाकामियों की मिसाल के काम आता हूँ मैं
जो दिल की गिरफ्त में हो जाता है,
मासूक के रहमों-करम पर हो जाता है,
किसी और की बात रास नहीं आती,
दिल कुछ ऐसा कम्बख्त हो जाता है,
मानता है बस दलीले उनकी,
ये कुछ यूँ बद हवास हो जाता है,
यार के दीदार में ऐसा मशगूल रहता है,
कि अपनी खैरियत भूल कर भी सो जाता है,
खुदा की नमाज भी भूल कर बैठा है,
कुछ इस कदर बद्सलूक हो जाता है,
जब दिल की गिरफ्त मे हो कोई,
जाने क्या से क्या हो जाता है…
छलका तो था कुछ इन आँखों से उस रोज़..!!
कुछ प्यार के कतऱे थे..कुछ दर्द़ के लम्हें थे….!!!!
मेरी मासूम मोहब्बत ,
की गवाही न मांग मेरी पलकों पे सितारों ने इबादत की है…
जीवन जीना हो तो
दर्पण की तरह जीओ,
जिसमें स्वागत सभी का हो
लेकिन संग्रह किसी का भी नहीं…
बहुत करीब से अंजान बन के गुज़रे हैं वो….
जो बहुत दूर से पहचान लिया करते थे…..
मौला तू भी कमाल करता है।
आँखे ब्लैक & व्हाइट देता है।
और ख़्वाब रंगीन दिखाता है ।
मिली है अगर जिंदगी तो मिसाल बन कर दिखाइये…
वर्ना इतिहास के पन्ने आजकल रिश्वत देकर भी छपते है|
या तो क़ुबूल कर,मेरी कमज़ोरियों के साथ
या छोड़ दे मुझे, मेरी तनहाइयों के साथ|
जिसको जो कहना है कहने दो अपना क्या जाता है,
ये वक्त-वक्त कि बात है साहब, सबका वक्त आता है..