जो दिल की गिरफ्त में

जो दिल की गिरफ्त में हो जाता है,
मासूक के रहमों-करम पर हो जाता है,
किसी और की बात रास नहीं आती,
दिल कुछ ऐसा कम्बख्त हो जाता है,
मानता है बस दलीले उनकी,
ये कुछ यूँ बद हवास हो जाता है,
यार के दीदार में ऐसा मशगूल रहता है,
कि अपनी खैरियत भूल कर भी सो जाता है,
खुदा की नमाज भी भूल कर बैठा है,
कुछ इस कदर बद्सलूक हो जाता है,
जब दिल की गिरफ्त मे हो कोई,
जाने क्या से क्या हो जाता है…

छलका तो था

छलका तो था कुछ इन आँखों से उस रोज़..!!

कुछ प्यार के कतऱे थे..कुछ दर्द़ के लम्हें थे….!!!!

मौला तू भी

मौला तू भी कमाल करता है।

आँखे ब्लैक & व्हाइट देता है।

और ख़्वाब रंगीन दिखाता है ।

मिली है अगर

मिली है अगर जिंदगी तो मिसाल बन कर दिखाइये…
वर्ना इतिहास के पन्ने आजकल रिश्वत देकर भी छपते है|