हवाओं की भी

हवाओं की भी अपनी अजब सियासतें हैं ….कहीं बुझी राख भड़का दे कहीं जलते चिराग बुझा दे!

तुम्हारी प्यारी सी नज़र

तुम्हारी प्यारी सी नज़र अगर इधर नहीं होती,
नशे में चूर फ़िज़ा इस कदर नहीं होती,
तुम्हारे आने तलक हम को होश रहता है,
फिर उसके बाद हमें कुछ ख़बर नहीं होती..