चीर के ज़मीन को मैं उम्मीदें बोता हूँ मैं किसान हूं चैन से कहाँ सोता हूँ|
Tag: प्यार
इस शहर में
इस शहर में मजदूर जैसा दर बदर कोई नहीं
सैंकड़ों घर बना दिये पर उसका कोई घर नहीं|
मरम्मतें खुद की
मरम्मतें खुद की रोज़ करता हूँ,
रोज़ मेरे अंदर एक नुक्स निकल आता है !!
तकदीरें बदल जाती हैं
तकदीरें बदल जाती हैं जब ज़िंदगी का कोई मकसद हो,
वरना ज़िंदगी कट ही जाती है तकदीरों को इल्ज़ाम देते देते!
दुरुस्त कर ही लिया
दुरुस्त कर ही लिया मैंने नज़रिया अपना,
कि दर्द न हो तो मोहब्बत मज़ाक लगती है!
न जाने कौन सी
न जाने कौन सी दौलत है तेरे लफ़्ज़ों में,
बात करते हो तो दिल खरीद लेते हो!
सरेआम न सही
सरेआम न सही फिर भी रंजिश सी निभाते है..
किसी के कहने से आते किसी के कहने से चले जाते..
न रूठना हमसे
न रूठना हमसे हम मर जायेंगे!
दिल की दुनिया तबाह कर जायेंगे!
प्यार किया है हमने कोई मजाक नहीं!
दिल की धड़कन तेरे नाम कर जायेंगे!
रंजिश हो दिल में तो…
रंजिश हो दिल में तो…खुल के गिला करो….
यूं शिकायतों का बोझ लेके किसी से मिला ना करो।
फिर थम जाना….
सिसकना,भटकना,और फिर थम जाना…. बहुत तकलीफ देता है, खुद ही संभल जाना…