रात भर बातें करते हैं

रात भर बातें करते हैं तारे रात काटे किधर कोई तनहा…

मेरे हिस्से की

मेरे हिस्से की दुनिया बनाई ही नहीं गई तेरे नाम की साँसों के संग जी रहा हूँ मैं…

ख़ुद अपना ही साया

ख़ुद अपना ही साया डराता है मुझे, कैसे चलूँ उजालों में बेख़ौफ़ होकर?

वो अकलमंद कभी

वो अकलमंद कभी जोश में नही आता, गले तो लगता है,आगोश मे नही आता।

भूख रिश्तों को

भूख रिश्तों को भी लगती है, प्यार कभी परोस कर तो देखिए।

मिटती है भूख

मिटती है भूख इनके ही दम से जहान की ताक़त है कितनी देखिये लोगो किसान में….

ख़रीद सको न जिसको

ख़रीद सको न जिसको दौलत लूटा कर भी बिक जाता है वो तो केवल एक मुस्कान में !

रिश्ता जमीं से

रिश्ता जमीं से मेरा कभी टूटता नही वो याद रहा मुझको मेरी हर उड़ान में !

कभी आती है

कभी आती है हँसी खुद पर कभी खाली जेब पर हँसी आती है|

अब अकेला नहीं

अब अकेला नहीं रहा मैं यारों मेरे साथ अब मेरी तन्हाई भी है…..

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