सौ बार मरना चाहा,
निगाहों में डूब कर
वो निगाह झुका लेते हैं,
हमें मरने नहीं देते……
Tag: प्यार शायरी
डूबकर देख एक पल मुझमें
डूबकर देख एक पल मुझमें,
ढूँढ ले मुश्क़िलों के हल मुझमें….।।
जागा हुआ ज़मीर
जागा हुआ ज़मीर वो आईना है
सोने से पहले रोज़ जिसे देखता हूँ मैं |
अपना मुक़द्दर ग़म से
अपना मुक़द्दर ग़म से बेग़ाना अगर होता
तो फिर अपने-पराए हमसे पहचाने कहाँ जाते |
मैं अपनी ज़ात में
मैं अपनी ज़ात में नीलाम हो रहा हूँ
ग़म-ए-हयात से कह
दो ख़रीद लाये मुझे|
सदियों की सज़ा पाई
लम्हों मे खता की है
सदियों की सज़ा पाई |
ये भी तो सज़ा है
ये भी तो सज़ा है कि गिरफ़्तार-ए-वफ़ा हूँ
क्यूँ लोग मोहब्बत की सज़ा ढूँढ रहे हैं|
ख़्यालात का रंग
ये शहर शहरे-मुहब्बत की अलामत था कभी
इसपे चढ़ने लगा किस-किस
के ख़्यालात का रंग|
हाथ मिलते ही
हाथ मिलते ही उतर आया मेरे हाथों में कितना कच्चा है दोस्त तेरे हाथ का रंग |
तेरा भी अहसान
ऐ ज़िंदगी..
तेरा भी अहसान..क्यों रखा जाए,
तू भी ले जा..इस खाक से..हिस्सा अपना…..॥