मै फिर से निकलूंगा तलाश -ए-जिन्दगी में..
दुआ करना दोस्तों इस बार किसी से इश्क ना हो..!
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इतने नाज़ुक है वो
वो धड़कनों की धमक से डरने लगे है..
गले कैसे लगाऊँ इतने नाज़ुक है वो..!
इश्क है या इबादत..
इश्क है या इबादत.. अब कुछ समझ नहीं आता,
एक खुबसूरत ख्याल हो तुम जो दिल से नहीं जाता….
तन्हाइयों के लम्हें
तन्हाइयों के लम्हें अब तेरी यादों का पता पूछते हैं…!!
तुझे भूलने की बात करूँ तो ये तेरी खता पूछते हैं…!!
अजीब रंगो में गुज़री है
अजीब रंगो में गुज़री है मेरी ये ज़िन्दगी…!!
दिलों पर राज किया पर मोहब्बत को तरस गए…!!
मेरी तलाश का जुर्म है
मेरी तलाश का जुर्म है या मेरी वफ़ा का कसूर…!!
जो भी दिल के करीब आया वही “बेवफ़ा” निकला…!!
चलो ये ज़िन्दगी अब
चलो ये ज़िन्दगी अब तुम्हारे नाम करते हैं…!!
सुना है बेवफ़ा की बेवफ़ा से खूब बनती है…!!
कभी मतलब के लिए
कभी मतलब के लिए तो कभी दिल्लगी के लिए…!! हर कोई मोहब्बत ढूंढ रहा है यहाँ अपनी ज़िन्दगी के लिए…!!
उतने तो लम्हे भी
उतने तो लम्हे भी नहीं बिताए मैंने संग तेरे,
जितनी रातों की नींद ले गए हो तुम छीन के|
तुमने तो फिर भी
तुमने तो फिर भी सीख लिया नसीहतें देना..
हम कुछ न कर सके, मोहब्बत के सिवा.. !!