जो फ़ना हो जाऊं तेरी चाहत में तो ग़ुरूर ना करना,
ये असर नहीं तेरे इश्क़ का, मेरी दीवानगी का हुनर है !
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जो फ़ना हो जाऊं तेरी चाहत में तो ग़ुरूर ना करना,
ये असर नहीं तेरे इश्क़ का, मेरी दीवानगी का हुनर है !
तेरे इश्क में डूब कर कतरे से दरिया हो जाऊँ
मैं तुमसे शुरू होकर तुझमें ख़त्म हो जाऊँ…
तुम आ जाओ ख्यालों में और मुस्कुरा दूँ मैं…
गर इसे इश्क़ कहते हैं…तो हाँ इश्क़ है तुमसे….!!
बहुत शौक था सब को जोङ के रखने का !
होश तब आया जब अपने वजूद के टुकङे देखे !!
परेशानियों ने भी क्या खूब याद रखा मेरे घर का पता….
बस ये खुशिया ही है जो आवारा निकली….!!
न जाने इतनी मोहब्बत कहाँ से आ गयी उस अजनबी के लिए..!!
की मेरा दिल भी उसकी खातिर अक्सर मुझसे रूठ जाया करता हे ..!!
तुम कभी भी मोहब्बत आजमा के देखना मेरी हम जिंदगी से हार जायेंगे मोहब्बत से नहीं.
तुम्हारे हँसने की वजह बनना चाहता हूँ ,
बस इतना हैं तुमसे कहना………
कभी साथ बैठो तो कहूँ की क्या दर्द है मेरा……
तुम दूर से पूछोगे तो खैरियत ही कहेगे ……
आओ बताता हूँ…
अपने दर्द कॊ क्यों नही दर्शाता हूँ…
साहेब घर चलाना पड़ता है…
इसलिए हर अपमान अपना सह जाता हूँ…