मासूमियत का कुछ ऐसा अंदाज़ था मेरे
सनम का,
उसे तस्वीर में भी देखूं तो पलकें झुका लेती थी….
Tag: प्यार शायरी
बड़ी बेवफ़ा हो जाती
बड़ी बेवफ़ा हो जाती है ग़ालिब ये घड़ी भी सर्दियों में।
पाँच मिनट और सोने की सोचो तो तीस मिनट आगे बढ़ जाती है।।
न समझ भूल
न समझ भूल गया हूँ तुझे ,
तेरी खुशबू मेरे सांसो में आज भी हैं !!
मजबूरियों ने निभाने न दी मोहब्बत !
सच्चाई मेरी वाफाओ में आज भी हैं !!
दिल दे देंगे
कभी उदास बेठी हो तो बताना,
हम फिर से दिल दे देंगे खेलने के लिए !!
एक ख़्वाब ने
एक ख़्वाब ने आँखे खोली हैं….
क्या मोड़ आया है कहानी मैं…..
वो भीग रही है बारिश मैं………..
और आग लगी है
पानी मैं……!
हवाओ जैसी
रुके तो चाँद जैसी हैँ…..
चले तो हवाओ जैसी हैँ…..
वो माँ ही हैँ…..
जो धुप मैँ भी छाँव जैसी हैँ….
एक सूत्र में बँधी
झाड़ू, जब तक एक सूत्र में बँधी होती है, तब तक वह “कचरा” साफ करती है।
लेकिन वही झाड़ू जब बिखर जाती है तो खुद कचरा हो जाती है।
तेरा ऐ दिल
माफी चाहता हूँ गुनेहगार हूँ तेरा ऐ दिल,
तुझे उसके हवाले किया जिसे तेरी कदर नहीं
ढूंढ रहे हो
कमियां तो पहले भी थीं मुझमें..
अब जो बहाना ढूंढ रहे हो तो वो अलग बात है.. !!
यह समझ पाओ
किसी मासूम बच्चे की तबस्सुम मेँ उतर जाओ,
तो शायद यह समझ पाओ खुदा ऐसा भी होता है…