जिंदगी की हकीकत को बस इतना जाना है….
रोना है अकेले ही, और हंसने में जमाना है…!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जिंदगी की हकीकत को बस इतना जाना है….
रोना है अकेले ही, और हंसने में जमाना है…!
तुम्हारा सिर्फ़ हवाओं पे शक़ गया होगा,
चिराग़ ख़ुद भी तो जल-जल के थक गया होगा”..
“माँ ” के लिए क्या लिखू ?
“माँ ” ने खुद मुझे लिखा है ..
प्यार-व्यार के चक्कर में पड़ने से पहले पैसे कमा लेना,
गरीबों का प्यार अक्सर चौराहे पर नीलाम
हो जाता है …!!!
सुना है, गीत संगीत बगैर सीखे नही आते..!
न जाने माँ फिर भी लोरी इतने सुर मे कैसे गाती है….
वो लौट के आये मेरी ज़िन्दगी में अपने मतलब के लिए……..
और…….
मैं यह सोचता रहा मेरी दुआओं में दम हैं
मैं अक्सर अपनी पेंसिल की नोक तोड़ दिया करता था..|
क्योंकि क्लास में शार्पनर लाने वाली वो अकेली लड़की थी..
मेरी डायरी के पन्ने बोलते बहुत हैं
मै राज छुपाता हूं , ये खोलते बहुत हैं।
दिल के शहर का दिल ही, दुश्मन बना मिलता है
दिल में रहने वाले दिल तोड़ते बहुत है।
वैसे तो लोग प्यार झूठ से करते बहुत है
बात दिल दुखाने की हो तो सच बोलते बहुत है।
तड़पते है, मचलते है, जुदा जब होते हैं
जाते जाते वो बार बार लोटते बहुत है।
बचने की उम्मीद पे पानी फिर जाता है
हुस्न देखकर दिल डोलते बहुत है।
चलो गमों को ही घर का रास्ता बता दूं
खुशी के लम्हे साथ छोडते बहुत हैं।
एक तेरे ना होने से बदल जाता है सब कुछ
कल धुप भी दीवार पे पूरी नही उतरी-
मैं तबाह हूँ तेरे प्यार में तुझे दूसरों का ख्यालहै….!!!
कुछ तो मेरे मसले पर गौर कर
मेरी जिन्दगी का सवाल है….!!!