उदासी पूछती है

गलियों की उदासी पूछती है, घर का सन्नाटा कहता है… इस शहर का हर रहने वाला क्यूँ दूसरे शहर में रहता है..!

हम-सफ़र चाहिए

हम-सफ़र चाहिए हुजूम नहीं.. इक मुसाफ़िर भी क़ाफ़िला है मुझे..

झूठी तसल्ली को कहा था

वो तो बस झूठी तसल्ली को कहा था तुम से हम तो अपने भी नहीं, ख़ाक तुम्हारे होते

ये शहर है

ये शहर है कि नुमाइश लगी हुई है कोई, जो आदमी भी मिला, बन के इश्तिहार मिला।

याद ही नहीं रहता कि

याद ही नहीं रहता कि लोग छोड़ जाते हैं.आगे देख रहा था, कोई पीछे से चला गया.

तेरा आधे मन से

तेरा आधे मन से मुझको मिलने आना, खुदा कसम मुझे पूरा तोड़ देता है…

आप मुझ से

आप मुझ से, मैं आप से गुज़रूँ…. रास्ता एक यही निकलता है…..

चलो तोड़ते हैं

चलो तोड़ते हैं आज मोहब्बत के सारे के उसूल अपने, अब से बेवफाई और दगाबाज़ी दोनों हम करेंगे!

जिंदगी गुजर जाऐ

कोई हुनर , कोई राज , कोई रविश , कोई तो तरीका बताओ के.. दिल टूटे भी ना , साथ छूटे भी ना , कोई रूठे भी ना और जिंदगी गुजर जाऐ ..

दिल के आगंन में

कभी वक्त मिले तो रखना कदम , मेरे दिल के आगंन में ! हैरान रह जाओगे मेरे दिल में , अपना मुकाम |

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