तेरी तारीफ में

सोचता हू तेरी तारीफ में कुछ लिखु…. फिर खयाल आया की कही पढने वाला भी तेरा दिवाना ना हो जाए….!!

तुम्हारा नाम मेरी दीवार

मेरी गली के बच्चे बहुत शरारती हैँ, आज फिर तुम्हारा नाम मेरी दीवार पर लिख गये…….

किससे और कब

मोहब्बत किससे और कब हो जाये अदांजा नहीं होता..! ये वो घर है, जिसका दरवाजा नहीं होता.

चांद की तरह

तू बिल्कुल चांद की तरह है… ए सनम.., नुर भी उतना ही.. गरुर भी उतना ही.. और दूर भी उतना ही.!.

मुसकुराहटे झुठी भी

मुसकुराहटे झुठी भी हुआ करती है, देखना नहीं समझना सीखो…

कभी इतना मत

कभी इतना मत मुस्कुराना की नजर लग जाए जमाने की हर आँख मेरी तरह मोहब्बत की नही होती….!!!

कोई मुझ से

कोई मुझ से पूछ बैठा ‘बदलना’ किस को कहते हैं? सोच में पड़ गया हूँ मिसाल किस की दूँ ? “मौसम” की या “अपनों” की

सलाह दे रहा था

कल रात मैने अपने दिल से भी रिश्ता तोड दिया…! . . पागल तेरे को भूल जाने की सलाह दे रहा था…

इसांन सुन लेगा

मिठी बाते ना कर ऐ नादान परिंदे, इसांन सुन लेगा तो पिंजरा ले आएगा..

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