लिखते जा रहे हो साहब
मोहब्बत हो गई..या खो गई है|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
लिखते जा रहे हो साहब
मोहब्बत हो गई..या खो गई है|
आजकल रिश्ते नाते, रोटी से हो गये,
थोड़ी सी आँच बढ़ी, और जल गये
देर तलक सोने की आदत छूट गयी
माँ का आँचल छूटा जन्नत छूट गयी
बाहर जैसा मिलता है खा लेते हैं
घर छूटा खाने की लज़्ज़त छूट गयी
तेरा ख़्याल चीनी का दाना हो जैसे..
मेरी उम्मीदें चीटियों की कतारों जैसी…
एक लाइन में क्या तेरी तारीफ़ लिखूँ………
पानी भी जो देखे तुझे तो प्यासा हो जाये…..
दिल ऐसी शय नही जो काबू में रह सके…समझाऊ किस कदर किसी बेखबर को मैं…!!
फ़क़त सिर्फ जंजीरे बदली जा रही थी…
और मैं समझ बैठा के रिहाई हो गई है…..
मुस्कुराहटे तो कई खरीदी थी..
मेरे चेहरे पर कोई जंची ही नही..
सुना था लोगों से
वक्त बदलता है और अब .
वक्त ने बताया के
लोग भी बदलते है …….
मुस्कुराहटें झूठी भी हुआ करती हैं यारों..!!!
इंसान को देखना नहीं बस समझना सीखो..!!!