सोचता तक नहीं हूँ

सोचता तक नहीं हूँ यारा कभी, मेरे मुकद्दर मै क्या क्या है

मुस्करा कर मुलाकात करता हूँ वक्त के हर एक लम्हे से|

बस इतनी सी

बस इतनी सी बात पर हमारा परिचय तमाम होता है !
हम उस रास्ते नही जाते जो रास्ता आम होता है…!!!