आँखों से पिघल कर

आँखों से पिघल कर गिरने लगी हैं
तमाम ख़्वाहिशें

कोई समंदर से जाकर कह दे
कि आके समेट ले इस दरिया को…!!

अपने दिल से

अपने दिल से मिटा ड़ाली तेरे साथ की सारी तस्वीरें

आने लगी जो ख़ुशबू तेरे ज़िस्मों-जां से किसी और की…!!

छलका तो था

छलका तो था कुछ इन आँखों से उस रोज़..!!

कुछ प्यार के कतऱे थे..कुछ दर्द़ के लम्हें थे….!!!!