आग लगाना मेरी

आग लगाना मेरी फ़ितरत में नहीं..,
पर लोग मेरी सादगी से ही जल जाये…
उस में मेरा क्या क़सूर…!

जिसे शिद्दत से

जिसे शिद्दत से चाहो वो मुद्दत से मिलता है,

बस मुद्दतों से ही नहीं मिला कोई शिद्दत से चाहने वाला!

कौन कहता है

कौन कहता है दुनिया में
हमशक्ल नहीं होते

देख कितना मिलता है
तेरा “दिल” मेरे “दिल’ से.!

मुझे इंसान को

मुझे इंसान को पहचानने की ताकत दो तुम….
या फिर मुझमें इतनी अच्छाई भरदो की….
किसी की बुराई नजर ही ना आये..