अजब ये मुल्क़ है ऐसा हम जहाँ पे रहते हैं,
इश्क़ छुपके यहाँ, नफ़रत खुलेआम होती है…!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अजब ये मुल्क़ है ऐसा हम जहाँ पे रहते हैं,
इश्क़ छुपके यहाँ, नफ़रत खुलेआम होती है…!!
आग लगाना मेरी फ़ितरत में नहीं..,
पर लोग मेरी सादगी से ही जल जाये…
उस में मेरा क्या क़सूर…!
जिसे शिद्दत से चाहो वो मुद्दत से मिलता है,
बस मुद्दतों से ही नहीं मिला कोई शिद्दत से चाहने वाला!
ज़िन्दगी के मायने तो याद तुमको रह जायेंगे ,
अपनी कामयाबी में कुछ कमी भी रहने दो..
कौन कहता है दुनिया में
हमशक्ल नहीं होते
देख कितना मिलता है
तेरा “दिल” मेरे “दिल’ से.!
पता नही होश मे हूँ…..
या बेहोश हूँ मैं…..
पर बहूत सोच …….
समझकर खामोश हूँ मैं.
मुझे इंसान को पहचानने की ताकत दो तुम….
या फिर मुझमें इतनी अच्छाई भरदो की….
किसी की बुराई नजर ही ना आये..
तुझे तो मिल गये जीवन मे कई नये साथी,
लेकिन…..
मुझे हर मोड़ पऱ तेरी कमी अब भी महसूस होती
है….!!
तुझे तो मिल गये जीवन मे कई नये साथी,
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लेकिन…..
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“मुझे हर मोड़ पऱ तेरी कमी अब भी महसूस होती
है….!!
सज़दा कीजिये या मांगिये दुआये..
जो आपका है ही नही वो आपको मिलेगा भी नही..