गुनाहगार को इतना. पता तो होता हैं
ज़हा कोई नही होता खुदा तो होता हैं|
Tag: प्यारी शायरी
जिएँ तो अपने बग़ीचे में
जिएँ तो अपने बग़ीचे में गुलमोहर के तले
मरें तो ग़ैर की गलियों में गुलमोहर के लिए
जहा शेरो पर चुटकलों सी
जहा शेरो पर चुटकलों सी दाद मिलती हो…
वहा फिर कोई भी आये मगर एक शायर नही आता…
ए खुदा मौसम को
ए खुदा मौसम को इतना रोमांटिक भी ना कर
कुछ लोग ऐसे भी है जिनका मेहबूब नहीं
मैं ढूढ़ रहा था
मैं ढूढ़ रहा था शराब के अंदर,
नशा निकला नकाब के अंदर .!!
तुमको देखा तो मौहब्बत भी
तुमको देखा तो मौहब्बत भी समझ आई
वरना इस शब्द की तारीफ ही सुना करते थे…!!
सब्र तहजीब है
सब्र तहजीब है मोहब्बत की साहब,
और तुम समझते हो की बेजुबान है हम!!
इन्सान मार दिया जाता है
इन्सान मार दिया जाता है तो कोई कुछ नहीं बोलता
जानवर काट दिया तो दंगे भड़का देते है |
कुछ और भी हैं
कुछ और भी हैं काम हमें ऐ ग़म-ए-जानाँ,
कब तक कोई उलझी हुई ज़ुल्फ़ों को सँवारे
सब्र की रोटी को
सब्र की रोटी को हम सब बाँट कर के खाएंगे
दिल बड़ा छोटा सा दस्तरख्वान है तो क्या हुआ