आते हैं मैख़ाने में तो कलम टूट कर लिखती है,
मुझ से बडी काफिर तो मेरी कलम हो रक्खी है…
Tag: प्यारी शायरी
अब तो मुझ को
अब तो मुझ को मेरे हाल में जीने दो
अब तो मैंने तुम पे मरना छोड़ दिया|
वो जो समझते थे
वो जो समझते थे हम उनके रहम-ओ-करम पर हैं,
कल बात चली तो उनको करमों पर हमें रहम आ गया…
अग़र फितरत हमारी
अग़र फितरत हमारी सहने की नहीं होती….
तो हिम्मत तुम्हारी कुछ कहने की नहीं होती….
जाने कितनी रातों की
जाने कितनी रातों की नीदें ले गया वो…
जो पल भर मौहब्बत जताने आया था|
बात ऊँची थी
बात ऊँची थी मगर बात ज़रा कम आँकी
उस ने जज़्बात की औक़ात ज़रा कम आँकी
वो फरिश्ता मुझे कह कर ज़लील करता रहा
मैं हूँ इन्सान, मेरी ज़ात ज़रा कम आँकी
नज़र उसकी चुभती है
नज़र उसकी चुभती है दिल में कटार की तरह
तड़प कर रह जाता हूँ मैं किसी लाचार की तरह
उसकी मुलाकात दिल को बड़ा सुकून देती है
उससे मिल कर दिन गुज़रता है त्योहार की तरह|
न जन्म कुछ न मृत्यु
न जन्म कुछ न मृत्यु कुछ ,बस इतनी सी बात है…
किसी की आंख खुल गई ,किसी को निंद आ गई |
उलझते-सुलझते हुए
उलझते-सुलझते हुए ज़िन्दगी के ये लम्हें……
और खुशबू बिखेरता हुआ …तेरा महकता सा ख़्याल|
मेरे बस मे नहीं
मेरे बस मे नहीं अब हाल-ए-दिल बयां करना,
बस ये समझ लो, लफ़्ज़ कम मोहब्बत ज्यादा हैं|