घड़ी घड़ी वो हिसाब करने बैठ जाते है…
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जबकि उनको पता है, जो भी हुआ, बेहिसाब हुआ है..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
घड़ी घड़ी वो हिसाब करने बैठ जाते है…
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जबकि उनको पता है, जो भी हुआ, बेहिसाब हुआ है..
बहस में दोनों को लुत्फ़ आता रहा,,,
मुझ को दिल,मैं दिल को समझाता रहा…
इश्क़ बुझ चुका है ।
क्यूंकि हम ज़ल चुके हैं ।।
मंज़िलें मुझे छोङ गई हैं ।
रास्तों ने संभाल लिया है ।।
जा ज़िदगी तेरी जरूरत नही ।
मुझे हादसो ने पाल लिया है ।।
बिन धागे की सुई सी है ये ज़िंदगी….. सिलती कुछ नहीं, बस
चुभती जा रही है.
मत जियो उसके लिए जो दुनिया के लिए खूबसूरत हो |
जियो उसके लिए जो तुम्हारी दुनिया खूबसूरत बनाये
जिनके पास इरादे होते है ना।।
उनके पास बहाने नही होते।।
आरज़ू थी तुम्हारी तलब बनने की !!
मलाल ये कि तुम्हारी लत लग गयी !!
तुम्हारे होते हुए भी हम तनहा है,
इससे बढ़कर क्या सबूत होगा तुम्हारी बेरुखी का !!
तुम बहोत साल रह लिए अपने,
अब मेरे और सिर्फ मेरे होकर रहो !!