खुदा जाने कौनसा गुनाह कर बैठे है हम कि,,,
तमन्नाओं वाली उम्र में तजुर्बे मिल रहे है|
Tag: प्यारी शायरी
इक अजब चीज़ है
इक अजब चीज़ है शराफ़त भी
इस में शर भी है और आफ़त भी|
कुछ है जो
कुछ है जो खत्म हो रहा है अंदर से
मेरे……
बेज़ुबान पहले भी हुआ हूँ पर..
… बे-अहसास नहीं !
इतेफाक देखिये शायर ने
इतेफाक देखिये शायर ने शायर के नज्म को देखा
इतमिनान से हैं वो जिसे शायर ने अपनी नज़्म में देखा|
हमने जाना के सोच समझ कर
हमने जाना के सोच समझ कर किसी को हाल ए दील बताना……
और ये भी जाना के क्या होता है आखो का समन्दर हो जाना….
दिल गया था
दिल गया था तो ये आँखें भी कोई ले जाता
मैं फ़क़त एक ही तस्वीर कहाँ तक देखु|
बस थोड़ी दूर है
बस थोड़ी दूर है घर उनका,
कभी होता ना दीदार उनका ।
मेरी यादों में है बसर उनका,
इतफ़ाक या है असर उनका ।
सहर हुई है या है नूर उनका,
गहरी नींद या है सुरुर उनका ।
पूछे क्या नाम है हुज़ूर उनका,
हम पे यूँ सवार है गुरुर उनका ।
हर गिला-शिकवा मंजूर उनका ।
मिल सको तो बेवजाह मिलना…
कभी मिल सको तो बेवजाह मिलना….,
वजह से मिलने वाले तो ना जाने हर रोज़ कितने मिलते है…!
आ कहीं मिलते हे
आ कहीं मिलते हे हम ताकि बहारें आ ज़ाए,
इससे पहले कि ताल्लुक़ में दरारें आ जाए…
बहुत बरसों तक
बहुत बरसों तक वो कैद में रहने वाला परिंदा,
नहीं गया उड़कर जब कि सलाखें कट चुकी थी…