रोज़ करता हूँ इरादा ऐ मेरे मौला तुझको भूल जाने का, रोज़ थोड़ा-थोड़ा खुद को भूलने लगा हूँ अब।
Tag: प्यारी शायरी
शाख से फूल तोड़कर
शाख से फूल तोड़कर मैंने ,सीखा अच्छा होना गुनाह है ,इस जहाँ में |
न जाने कैसी नज़र लगी है
न जाने कैसी नज़र लगी है ज़माने की, अब वजह नहीं मिलती मुस्कुराने की !
इसे इत्तेफाक समझो
इसे इत्तेफाक समझो या दर्दनाक हकीकत, आँख जब भी नम हुई, वजह कोई अपना ही निकला !!
छोड़ दिया है
छोड़ दिया है हमने..तेरे ख्यालों में जीना, . अब हम लोगों से नहीं..लोग हमसे इश्क करते हैं |
सपने भी डरने लगे है
सपने भी डरने लगे है तेरी बेवफाई से, कहते है वो आते तो है मगर किसी और के साथ !!
आज तो हम
आज तो हम खूब रुलायेंगे उन्हें, सुना है उसे रोते हुए लिपट जाने की आदत है!
ख़त जो लिखा मैनें
ख़त जो लिखा मैनें इंसानियत के पते पर ! डाकिया ही चल बसा शहर ढूंढ़ते ढूंढ़ते !
अगर तुम्हें भूलाना मुमकिन होता
अगर तुम्हें भूलाना मुमकिन होता तो कब के भूला दिये होते, यूँ पैरों में मोच होते हुए भी चलना किसको पसंद है !!
कंही पर बिखरी हुई बातें
कंही पर बिखरी हुई बातें कंही पर टूटे हुए वादे, ज़िन्दगी बता क्या तेरी रज़ा है और क्या तेरे इरादे…