आग लगी थी

आग लगी थी मेरे घर को,
किसी सच्चे दोस्त ने पूछा..!
क्या बचा है ?
मैने कहा मैं बच गया हूँ..!
उसने हँस कर कहा फिर साले जला ही क्या है..

ऐ उम्र कुछ

ऐ उम्र कुछ कहा मैंने,

शायद तूने सुना नहीं….
तू छीन सकती है बचपन मेरा , बचपना नहीं…

अभी तो तड़प

अभी तो तड़प-तड़प के

दिन के उजालों से निकला हू…
.
न जाने रात के अँधेरे और कितना रुलायेंगे.

रोड किनारे चाय

रोड किनारे चाय वाले ने हाथ में गिलास थमाते हुए पूछा……

“चाय के साथ क्या लोगे साहब”?

ज़ुबाँ पे लव्ज़ आते आते रह गए

“पुराने यार मिलेंगे क्या”?

जिंदगी एक पल है

जिंदगी एक पल है,
जिसमें न आज है न कल है,
जी लो इसको इस तरह,
कि जो भी आपसे मिले वो यही कहे,
बस यही ‘मेरी’ जिंदगी का सबसे हसीन पल है.