जिसे शिद्दत से

जिसे शिद्दत से चाहो वो मुद्दत से मिलता है,

बस मुद्दतों से ही नहीं मिला कोई शिद्दत से चाहने वाला!

जो दिल की गिरफ्त में

जो दिल की गिरफ्त में हो जाता है,
मासूक के रहमों-करम पर हो जाता है,
किसी और की बात रास नहीं आती,
दिल कुछ ऐसा कम्बख्त हो जाता है,
मानता है बस दलीले उनकी,
ये कुछ यूँ बद हवास हो जाता है,
यार के दीदार में ऐसा मशगूल रहता है,
कि अपनी खैरियत भूल कर भी सो जाता है,
खुदा की नमाज भी भूल कर बैठा है,
कुछ इस कदर बद्सलूक हो जाता है,
जब दिल की गिरफ्त मे हो कोई,
जाने क्या से क्या हो जाता है…

मैं तो फिर भी

मैं तो फिर भी इंसान हूँ,बहक जाना फितरत में शामिल है मेरी

हवा भी उसको छूने के बाद देर तक नशे में रहती है|

दुआ जो लिखते हैं

दुआ जो लिखते हैं उसको दग़ा समझता है
वफ़ा के लफ्ज़ को भी वो जफ़ा समझता है
बिखर तो जाऊं गा मैं टूट कर,झुकूँ गा नहीं
ये बात अच्छी तरह बेवफा समझता है|

तलब ये है कि

तलब ये है कि मैं सर रखूँ तेरे सीने पे

और तमन्ना ये कि

मेरा नाम पुकारे धड़कनें तेरी|