एक दिन हम मिलेंगे सूखे गुलाबों में,
बारिश की बूंदों में, कलम में, किताबों में ।।
Tag: दर्द शायरी
हवाओं की भी
हवाओं की भी अपनी
अजब सियासत है …
कहीं बुझी राख……भड़का दे,
कहीं जलते दीये बुझा दे……
अजीब शख्स हूँ
अजीब शख्स हूँ मैं, अजीब मिज़ाज़ में रहता हूँ..
…
कर देता हूँ खुश सबको पर खुद उदास रहता हूँ ।
दर्द जब भी हुवा
दर्द जब भी हुवा इस क़दर हुआ..
के जेसे फिर कभी होना ही नहीं..!”
उसके क़दमों में
उसके क़दमों में बिछा दूं आँखें..
मेरी बस्ती से गुज़रे तो सही..!
Kaheen agr lag
Kaheen agr lag jaaye dil to..
Kaheen phir dil naa laagy..!
ये ना समझ
ये ना समझ तेरे आसरे हूँ..
…
इश्क़ की दुनिया का बाल ठाकरे हूँ ।
क्या हूआ अगर
क्या हूआ अगर लोग मेरे बारे मे गलत बात करते है,
ये वो ही लोग है,जो कभी मेरी जान हुआ करते थे !!
यूँ बिन कुछ
यूँ बिन कुछ कहे..
सब कुछ कह देना,
तेरा ये हुनर…
सबसे जुदा है ।।
अमीरी भी क्या चीज़ है
अमीरी भी
क्या चीज़ है
कुत्ते, बिल्ली, तोता खुद पालते है
और खुद के बच्चे आया पालती है