यूँ ही नही आता ये शेर-ओ-शायरी का हुनर,
कुछ खुशियाँ गिरवी रखकर जिंदगी से दर्द खरीदा है।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
यूँ ही नही आता ये शेर-ओ-शायरी का हुनर,
कुछ खुशियाँ गिरवी रखकर जिंदगी से दर्द खरीदा है।
बस एक बार इस दर्द ऐ दिल को खत्म कर दो…
.
.
“मैं वादा करता हूँ फिर कभी मोहब्बत नहीं करूंगा…
कुछ इस तरह से हमने पूरी क़िताब पढ़ ली….
ख़ामोश बैठी रही ज़िंदगी…चाहतों ने पन्ने पलट दिए….
वो शख्स भी क्या अदब से डूबा,
दरिया सामने था और तलब से डूबा….
यू गलत भी नहीं होती ,चेहरे की तासीर साहिब
लोग बैसे भी नहीं होते,जैसे नजर आते है
बहुत खामिया निकालने लगे हो आजकल मुझमे,
..
आओ एक मुलाकात “आईने” से जरा तुम भी कर लो..।।
अभी तो बहुत दूर तक जाना है कई रिश्तों को भुलाना है
मेरी मंजिल है बहुत दूर क्योंकि मुझे तो अलग पहचान बनाना है ।
पता है … लाश पानी में क्यों तैरती हैं …??
क्योंकि डुबने के लिए जिंदगी चाहिए
ये क्यों कहे दिन आजकल अपने खराब हैं,
काटों से घिर गये हैं, समझ लो गुलाब हैं।
देखा जो तीर खा के, दुश्मनों की तरफ़..
अपने ही दोस्तों से मुलाकात हो गई..