इश्क का हफ़्ता गुज़र गया,
नफ़रतों का पूरा साल बाकी है…!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इश्क का हफ़्ता गुज़र गया,
नफ़रतों का पूरा साल बाकी है…!!
ज़िदगी जीने के लिये मिली थी,
लोगों ने सोचने में ही गुज़ार दी….
कुछ इस अदा से तोड़े है ताल्लुक उसने,
एक मुद्दत से ढूंढ़ रहा हूँ कसूर अपना !!
आँख बंद करके चलाना खंजर मुझ पे,
कही मैं मुस्कुराया तो तुम पहले मर जाओगे.
धडकनो को भी रास्ता दे दीजिये जनाब,
आप तो सारे दिल पर कब्जा किये बैठे है
हम तो समझे थे कि इक ज़ख़्म है भर जाएगा
क्या ख़बर थी कि रग-ए-जाँ में उतर जाएगा
वफ़ादारी दिखाने की अदाक़ारी नही करता, ….
हमारा दिल कोई भी काम बाज़ारी नही करता.!!
कुछ आप हसीन है , कुछ मौसम रंगीन है ,
तारीफ करूँ या चुप रहूँ ,जुर्म दोनो संगीन है !!!
ये जो चंद फुर्सत के लम्हे मिलते हैं जीने के लिए,मैं उन्हें
भी तुम्हे सोचतेहुए ही खर्च कर देता हूँ.
फना हो कर मोहब्बत करूँ या बेपनाह
मोहब्बत करूँ.,
बता तुझे कैसी मोहब्बत पसन्द है, तुझे वैसे मोहब्बत
करूँ..!!!