वो रुठ कर बोली क्यूं
इतना दर्द लिखते हो,
मैंने मुस्कुरा के कहा..
शायरी कोई कानूनन
जुर्म तो नहीं..!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
वो रुठ कर बोली क्यूं
इतना दर्द लिखते हो,
मैंने मुस्कुरा के कहा..
शायरी कोई कानूनन
जुर्म तो नहीं..!
ताल्लुकात बढ़ाने हैं तो
कुछ आदतें बुरी सीख लो..
ऐब न हों..
तो लोग महफ़िलों में नहीं बुलाते
ये सोचकर हमने ख़ुद को बेरंग रखा है,.
ऐ दोस्तों,.
सुना है सादगी ही मोहब्बत की रूह होती है…!!
उसके तेवर समझना भी आसां नहीं
बात औरों की थी, हम निगाहों में थे |
चेहरे को आज तक भी तेरा इंतज़ार है.!
हमने गुलाल और को मलने नहीं दिया..!!
अब मूहँ छूपा के क्यों रोता है
मेरे सीने में ऐ दिल….
मेरी तू सुनता ही कब था….
हसीन आँखों को पढ़ने का अभी तक शौक है
मुझको,…
मुहब्बत में उजड़ कर भी मेरी ये आदत
नहीं बदली…
उसकी जरूरत उसका इंतजार
और ये तन्हा आलम,
थक कर मुस्कुरा देते है
हम जब रो नहीं पाते…!!
मुझे तो पहले से ही यकीन
था तेरी फितरत पर,
बस तेरा नज़रें फेर के
जाते हुए देखना बाकी था|
मुझको मेरी शक्ल आज लग रही है अजनबी..
ना जाने कौन मेरे घर के आईने बदल गया…!!