ऐ समन्दर मैं तुझसे वाकिफ हूं
मगर इतना बताता हुँ,
वो आंखें तुझसे ज्यादा गहरी हैं
जिनका मैं आशिक हुँ..!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ऐ समन्दर मैं तुझसे वाकिफ हूं
मगर इतना बताता हुँ,
वो आंखें तुझसे ज्यादा गहरी हैं
जिनका मैं आशिक हुँ..!
ना जाने रोज कितने लोग रोते रोते सोते है,
और फिर सुबह झूठी मुस्कान लेकर सबको सारा दिन खुश रखते है !!
आदतें अलग हैं, मेरी दुनिया वालों से, कम दोस्त रखता हूँ, पर लाजवाब रखता हूँ..
हम जिंदगी में बहुत सी चीजे खो देते है,
“नहीं” जल्दी बोल कर और “हाँ” देर से बोल कर..
इस तरह सताया है परेशान किया है,
गोया कि मोहब्बत नहीं एहसान किया है….!!
हर अल्फाज दिल का दर्द है मेरा पढ़ लिया करो,
कोन जाने कोन सी शायरी आखरी हो जाये|
आशियाने बनें भी तो कहाँ
जनाब…
जमीनें महँगी हो चली हैं
और
दिल में लोग जगह नहीं देते..!!
मत पूछो कैसे गुजरता है हर पल तुम्हारे बिना,
कभी बात करने की हसरत कभी देखने की तमन्ना !!
बस इतनी सी बात पर हमारा परिचय तमाम होता है !
हम उस रास्ते नही जाते जो रास्ता आम होता है…!!!
हर शख्स परिंदों का हमदर्द नही होता मेरे दोस्त,
बहुत बेदर्द बेठे है दुनिया में जाल बिछाने वाले !!