गुलाब देने से अगर मोहब्बत हो जाती.!
तो माली सारे ‘शहर’ का महबूब बन जाता.!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
गुलाब देने से अगर मोहब्बत हो जाती.!
तो माली सारे ‘शहर’ का महबूब बन जाता.!
जिन्दंगी को समझना बहुत मुशकिल हैं. कोई सपनों की खातिर “अपनों” से दूर रहता हैं..
और , कोई “अपनों” के खातिर सपनों से दूर …!!
हमने दुनिया में मुहब्बत का असर ज़िन्दा किया है ,
हमनें दुश्मन को गले मिल-मिल के शर्मिन्दा किया है…!
कब्र को देख के,
ये रंज होता है,
दोस्त के इतनी सी जगह
पाने के लिए कितना जीना पड़ता है|
मैं मुसाफिर हूँ ख़ताऐं भी हुई हैं मुझसे ……!!!
तुम तराज़ू में मेरे पाँव के छाले रखना ……!!!
चखे हैं जाने कितने जायके महंगे मगर ऐ माँ,
तेरी चुल्हे की रोटी सारे पकवानो पे भारी है…
हवा चुरा ले गयी थी मेरी ग़ज़लों की
किताब..
देखो,
आसमां पढ़ के रो रहा है.
और
नासमझ ज़माना खुश है कि बारिश हो
रही है..!
गाँव की गलियाँ भी अब सहमी-सहमी रहती होंगी ,
की जिन्हें भी पक्की सड़कों तक पहुँचाया वो मुड़के नहीं आये..!!
खुल जाती हैं गाँठें बस जरा से जतन से,
मगर लोग कैंचियां चलाकर सारा फ़साना बदल देते हैं…!!!!
आज बता रहा हूँ
नुस्खा -ए-मौहब्बत ज़रा गौर से सुनो…
न चाहत को हद से बढ़ाओ न इश्क़ को सर पे चढ़ाओ!