मुस्कान बेचकर आंसू खरीद लेते है..!
मां बाप कभी मुनाफे का व्यपार नही करते..!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मुस्कान बेचकर आंसू खरीद लेते है..!
मां बाप कभी मुनाफे का व्यपार नही करते..!!
काला धन वापस आने में
अभी थोडा वक़्त लगेगा….
अभी तो गलत बाटे गए
पुरस्कार वापस आ रहे हैँ..!!
मेरे सात बेठ के टाइम भी रोया एक दिन
केहने लगा बन्दा तु सही है मे हि खराब चल रहा हुं….
मां जो भी बनाए उसे बिना नखरे किये खा लिया करो
क्युंकि दुनिया में ऐसे लोग भी है जिनके पास या तो खाना नही होता या मां नही होती
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मेरी तक़दीर में एक भी गम न होता
अगर तक़दीर लिखने का हक़ मेरी माँ को होता.
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अवार्ड वापिस करने वालों की
जरा गैस सब्सिडी तो चेक करना
वापिस की या नहीं !!
भूल सकते हो तो भूल जाओ इजाज़त है तुम्हे,
ना भूल पाओ तो लौट आना,
एक और भूल की इजाज़त है तुम्हे…!
जो दिल को अच्छा लगता है उसी को दोस्त कहता हूँ ,
मुनाफ़ा देखकर रिश्तों की सियासत मै नही करता
अखबार तो रोज़ आता है घर में,
बस अपनों की ख़बर नहीं आती…..
कोई तबीर (लंबी) उम्र भी यूँ ही जीया,
कोई जरा सी उम्र में इतिहास रच गया..