मज़हब पता चला जो मुसाफ़िर कि लाश का.. चुप चाप आधी भीड़ घरों को चली गयी…!!”
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स्वर्ग में सीढ़ी
स्वर्ग में सीढ़ी लगाने की अभिलाषा खत्म हो गयी चाहे साथ ही मेरे ….. चाँद की पगडंडी से देखा हैं अपना वजूद मैंने अग्नि भेंट होता भी …. पर मैं आज भी ज़िंदा हू हमेशा ज़िंदा रहूँगा तेरे दिलो दिमाग अंदर ….!!
काश वो नया
काश वो नया तरीका-ऐ-क़त्ल इज़ाद करें, मर जाऊ हिचकियों से वो इस कदर याद करें।
देख रहीं हैं
देख रहीं हैं खामोश नज़रें तुम्हारा झूठ का नज़रअंदाज़ करना…!!
तेरा ऐसे आने से
ले चला जान मेरी रूठ के जाना तेरा ऐसे आने से तो बेहतर था न आना तेरा।।।।
क्षमा चाहते हैं
दुसरो को उतनी ही जल्दी क्षमा करो, जितनी जल्दी आप ऊपर वाले से अपने लिए क्षमा चाहते हैं।
मज़ा लेते हैं
कैसे करुं भरोसा, गैरों के प्यार पर… अपने ही मज़ा लेते हैं, अपनों की हार पर..!
तुझे भूलने लगे
तेरी तस्वीर पे जमी धूल है गवाह इस बात की, हम भी तुझे भूलने लगे हैं ज़रा ज़रा …!!
दिल पे हाथ रख
तू मेरे दिल पे हाथ रख के तो देख, मैं वही दिल, तेरे हाथ पे दिल ना रख दूँ तो कहना….!!
जितना क़रीब था..
मिलना था इत्तेफ़ाक़, बिछरना नसीब था…वो इतना दूर हो गया जितना क़रीब था..